दुनियां भर के तनाव जब जिंदगी को थका रहे हैं,

तो आओ …….

क्यों ना, ज़िंदगी से हाथ मिलाकर हम भी कुछ देर मुस्कुरा ले …….

Sunday, August 1, 2010

एक प्रश्न उठा - क्या, मोक्ष केवल जैन ही जाते है ?

नहीं, ऐसा नहीं है बल्कि जो मोक्ष जाते है केवल और केवल वही जैन होते है | जैन संस्कृति उस चर्या का नाम है, जिसमे साधक को अपने विकारों, कषायों को जितना पड़ता है | व्यक्ति जाति अथवा धर्म से नहीं अपितु अपने आचरण एवं व्यव्हार से जैन कहलाता है |

महावीर की संस्कृति को श्रमण-संस्कृति कहा गया है, जिसका अर्थ है, जो भी मिलेगा श्रम से मिलेगा, जहां भी पहुंचोगे श्रम से पहुंचोगे | महावीर प्रार्थना से नहीं, प्रयत्न से मिलेंगे | परमात्मा पूजा से नहीं, पुरुषार्थ से मिलेंगें | अकेली प्रार्थना अधूरी है, प्रार्थना के साथ प्रयत्न भी अनिवार्य है | मोक्ष प्रसाद में नहीं, प्रयास से मिलेगा, याचना से नहीं, यत्न से मिलेगा | मोह की मौत ही मोक्ष का मूल्य है, मोक्ष के लिए यह मूल्य अनिवार्य रूप से चुकाना पड़ेगा | मोक्ष विरासत में या उतराधिकार में मिलने वाली संपत्ति नहीं है, उसे तो खुद ही अर्जित करना पड़ता है |

विकारों, विकृतियों, वासनाओं तथा कामनाओं से मुक्ति ही तो मोक्ष है | इस्लाम धर्म को मानने वाले मुहम्मद साहब की इबादत करते हैं | मुहम्मद का अर्थ भी वहीँ होता है जो जिनेन्द्र का होता है | मोह+मद अर्थात “मुहम्मद” | जो मोह और मद का मर्दन कर देता है, वही तो मुहम्मद होता है | सनातन धर्म को मानने वाले मोहन और मदन की पूजा करते है, उनका अर्थ भी वहीँ होता है, जो जिनेन्द्र का होता है | मोह-न (मोहन), मद-न (मदन) अर्थात जिसमे मोह नहीं वह “मोहन” है, जिसमे मद नहीं वह “मदन” है |

राम किसे कहें ? जो स्वयं में राम रहा है, वह “राम” है| जो कहे खुद में आ वह “खुदा” है | अल्लाह किसे कहें ? जो आली से आली हो वह “अल्लाह” हैं | रहीम किसे कहें ? जो सब पर रहम करें, वो “रहीम” हैं | बुद्ध किसे कहें ? जो परमबोधि को उपलब्ध हो गया, वह “बुद्ध” हैं | ईसाई किसे कहें ? जो ईश्वर का हो, वह “ईसाई” हैं | वैष्णव किसे कहें ? जो वैर का नाश करें, वह “वैष्णव” हैं | पारसी किसे कहें ? जो संसार के पार देखता है, वह “पारसी” हैं | सिक्ख किसे कहें ? जो शिष्य बनने को राजी हो, वह “सिक्ख” हैं| शब्द बड़े सार्थक होते है, शब्द बोलते है | इसीलिए शब्दों को ब्रह्म कहा गया हैं | शब्दों के सत्य को अगर इंसान समझ ले तो आज धर्म के नाम पर जो हाहाकार विश्व में मचा हुआ हैं, उस पर विराम लग जाएँ |

तो, मित्रों आओ शब्दों के मर्म को समझे और अपने नाम को सार्थक करें .....

1 comment:

सुज्ञ said...

अच्छा लेख,
प्रमोद जी,
सीधा सीधा "कोई भी मोक्ष जा सकता है,मात्र योग्यताएं होनी चाहिए।" विषय पर रहना था।