दुनियां भर के तनाव जब जिंदगी को थका रहे हैं,

तो आओ …….

क्यों ना, ज़िंदगी से हाथ मिलाकर हम भी कुछ देर मुस्कुरा ले …….

Monday, September 27, 2010

संवाद, जिंदगी जीने की एक कला है, इसका प्रभाव प्रत्यक्ष एवं सीधा होता है ! एक बेहतरीन विकल्प के रूप में यह दवा से भी बेहतर कारगर और ज़हर से भी खतरनाक हो सकता है ! अत: इसके इसके लिए अभ्यास एवं जागरूकता की नितांत आवश्यकता है !

रिश्तो की गरिमा बनाये रखने के लिये परस्पर संवाद बने रहना नितांत आवश्यक है | संबंधो मे संवादहीनता कभी ना आने दे | आपसी संवाद मन का गुबार निकाल देते है और कटुता अपने आप मिट जाती है | संवाद के शब्दों मे एक ऐसी शक्ति छिपी होती है जो अहसास एवं भावनाओ को प्रदर्शित कर क्षमा और शर्मिंदगी का भाव जाहिर कर देती है, तभी हमे रिश्तो कि गरिमा का एहसास होता है | बातो को तूल देना अपना ही तनाव बढाना है, रिश्तो को कड़वाहट पर खत्म कर देने से बेहतर है, संवाद की ओपचारिकता का ही पालन करते रहें | परस्पर संवाद विवाद खत्म करने और फिर से नयी शुरुआत करने का एक बेहतरीन तरीका है | किसी से रिश्ते इतने ना बिगाड की उनमे परस्पर बातचीत की कोई गुंजाइश ही बाकि ना बचें |

उपरोक्त कहने का तात्पर्य यह है कि - संवाद की सम्भावना को कभी खत्म ना होने दे वर्ना धीरे धीरे रिश्तो मे दुरिया बढती जाएँगी | संबंधो मे प्यार ना सही, उस प्यार एहसास तो बने ही रहने देना चाहिये |

संवाद न कर पाना आपको निर्जीव बना सकता है | संवाद मानसिक सेहत के लिये तो अच्छा है ही, साथ ही साथ प्यार और अपनेपन की ये बाते आपकी ज़िन्दगी मे उर्जा का एक ऐसा जादुई संचार कर देती है, इस के करण उन भावनाओ की बागडोर आप के हाथो मे आ जाती है जो आपको एक नकारात्मक सोच की ओर ले जा रही होती है ! इससे आप अपनी संवेदनाओ पर बेहतर नियंत्रण रख पाते है | यही स्थिति रिश्तो मे घनिष्टता और संतुष्टि बढाती है | अपनी संवेदनाओ को जाहिर करना और दुसरो की सुनना भावनात्मक रूप से सेहतमंद और बेहतर होता है |

संवाद एक सामाजिक जुडाव की परिक्रिया भी है जो एक से दूसरे, दूसरे से तीसरे और धीरे धीरे एक समूह को आपस मे जोड़ देती है | चाहे बात किसी गहन मुद्दे का विश्लेषण हो या अन्य कोई छोटी सी बात | परस्पर समूह मे संवाद की निरंतरता आपके सामाजिक प्रदर्शन को प्रखर करती है वह आपके प्रभाव को तो बढाती ही है वरन आपकी मानसिक निपूर्णताओ मे भी बढोतरी करती है | सामाजिक होना और बात करना दिमाग के लिये व्यायाम का काम करता है | संवाद अपनी प्रतिक्रिया देना और दुसरे से जुड़ने का एक ससक्त माध्यम है | आत्मीयता, स्नेह, निष्पक्षता और गंभीरता से जुडा संवाद व्यक्तित्व मे सुधार और आत्मविश्वास मे बढोतरी लाता है | संवाद स्वाभिमान को मजबूत बनाने और आपको अच्छा महसूस करवाने का काम करता है |

तो मित्रों, आओ ... संवाद के माध्यम से अपनों से अपने टूटे तारों को फिर से जोड़ें ले .

1 comment:

हरीश सिंह said...

आपके ब्लॉग पर आकर अच्छा लगा , आप हमारे ब्लॉग पर भी आयें. यदि हमारा प्रयास आपको पसंद आये तो "फालोवर" बनकर हमारा उत्साहवर्धन अवश्य करें. साथ ही अपने अमूल्य सुझावों से हमें अवगत भी कराएँ, ताकि इस मंच को हम नयी दिशा दे सकें. धन्यवाद . हम आपकी प्रतीक्षा करेंगे ....
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