दुनियां भर के तनाव जब जिंदगी को थका रहे हैं,

तो आओ …….

क्यों ना, ज़िंदगी से हाथ मिलाकर हम भी कुछ देर मुस्कुरा ले …….

Monday, July 26, 2010

बनें अपनी कंपनी कि जरुरत !

ये सदा स्मरण रखें कि आपकी कंपनी में आपकी अहमियत तभी हैं, जब आप उसकी जरुरत हों | बेशक आप बेहद प्रतिभाशाली है आपमे असीम क्षमताएं हैं, वहीँ अगर आप दूसरों के सामने उनका सही प्रस्तुतीकरण, उनकी सही मार्केटिंग करने में अक्षम हैं, तो आप अपनी उस कंपनी में सब से अयोग्य व्यक्ति हैं, आप सफलता का विचार अपने दिमाग से निकल दें | आज उपभोक्तावादी संस्कृति में हर जगह ब्रांड को अहमियत दी जाने लगी हैं | फिर चाहे ब्रांड का यह टैग खाने-पीने, पहनने की वस्तुओं पर लगा हो या फिर इंसान के साथ जुड़ा हो |

समय हमे खुद को एक “ब्रांड” के रूप में विकसित कर लेने के लिए चेता रहा हैं | जो इस तथ्य को नकारते हैं, वें भी इस व्यूह रचना का हिस्सा हैं | और इस बात को वे जितना जल्द से जल्द समझ लें, ये उनके भविष्य के लिए उतना ही अच्छा हैं | कहने-सुनने में भले ही ये यह अजीब लगे, लेकिन आप इस बात से इंकार नहीं कर सकते कि अमिताभ बच्चन, सचिन तेंदुलकर से लेकर आपके यहाँ आने वाला एक डाकिया, छोटी सी दुकान चलाने वाला एक पनवाड़ी, एक नाई तक “ब्रांड” हैं |

आज के प्रतिस्पर्धात्मक युग में अगर सफल होना हैं तो आपको अपनी एक खास पहचान बनानी होगी, अपना एक अलग व्यक्तिव गड़ना होगा जो आपको भीड़ से अलग दिखलायें | यानि जीवन में सफलता पाने के लिए आपको भी एक “ब्रांड” बनना ही होगा | अगर आप लिक से हट कर खुद को साबित नहीं करते है तो आपके असफल होने के अवसर सफल होने कि तुलना में कई गुना बढ़ जाते हैं | इसके बनिबस्त अगर आप खुद को एक “ब्रांड” के रूप में विकसित कर लेते है तो, बेहतर से बेहतर अवसर आपके दरवाजे तो खड़े होंगें ही बल्कि आप खुद को सेलेब्रिटी की श्रेणी में भी पहुंचा सकेंगें | जैसे किसी ब्रांड या उत्पाद को लोकप्रिय बनाने के लिए प्रचार निति भी बनायीं जाती हैं, ठीक उसी प्रकार आपको भी खुद को लोकप्रिय, प्रसिद्ध करने के लिए मार्केटिंग के तरीकों को अपनाना होगा | ये तो जग जाहिर है - जो दीखता हैं, वहीँ बिकता है |

हम जब भी किसी व्यक्ति से मिलते है तो उस पर अपना प्रभाव छोड़ते हैं | हमारे व्यक्तित्व का अन्य लोगों पर क्या प्रभाव पड़ता हैं, उसकी नजरो में हमारी एक छवि विकसित होती हैं, या आप इसे यूँ कहिएँ कि तब हमारी एक “ब्रांड-वैल्यू” निर्धारित होती हैं | जैसे जैसे लोग आप को पसंद करते जाते है, एक ब्रांड के रूप में आपकी लोकप्रियता उतनी ही बढती जाती है यानि जीवन में आपकी सफलता के अवसर बढते जाते हैं |

फिर क्या सोचा हैं ?

Sunday, July 25, 2010

जीवन में गुरु कि नितांत आवश्यकता !

गुरु भारतीय-संस्कृति कि खोज है, पश्चिम भाषाओ में तो गुरु शब्द ही नहीं था | गुरु-शिष्य परम्परा भारतीय सनातन परम्परा है | अध्यात्म प्रधान भारत देश में देव गुरु-धर्म का विशेष महत्व हैं | गुरु शब्द ब्रह्म रूप है | गुरु दहलीज के उस दीपक कि भांति है जो हमे भीतर के सच्चिदानंद स्वरूपी देवतत्व से जुड़ने के लिए धर्म मार्ग पर चलना सिखाते हैं, गुरु ही हमे देव और धर्म से जोड़ सकते हैं | "गु" यानि "गुण" और "रु" यानि "रूचि" | जो गुणों में रूचि जगाएं और दोषों से दूर भगाएं, वो गुरु ही होते है | जैसे किसी जलते हुए दीपक को देख कर बुझे हुए दीपक को ज्योतिबोध हो जाता है और वह भी प्रज्वलित हो उठता है, जैसे विस्तृत आकाश को देख कर भीतर का आकाश साकार हो उठता है | वैसे ही सदगुरु का प्रत्यक्ष दर्शन हमे स्वबोध करवाता हैं |

हमें जीवन में गुरु अवश्य बनाना चाहिए, चाहे वह माटी की मूर्ति ही क्यों ना हो | एकलव्य ने द्रोणाचार्य को गुरु मानकर, उनकी मूर्ति के सामने ही धनुर्विद्या सिखनी प्रारंभ की और एक दिन वे अर्जुन से भी अधिक प्रतिभाशाली बन गयें | अँधेरा चाहे कितना ही गहरा और पुराना क्यों ना हों, उसे दूर करने के लिए एक छोटा सा चिराग ही काफी है | बिज चाहें कितना ही छोटा क्यों ना हों, अंकुरित होने पर वही विशाल वृक्ष का रूप धारण कर लेता हैं | किसी को छोटा समझ कर उसकी उपेक्षा कभी ना करें | लघुवय में अष्टावक्र जी ने राजा जनक को आत्मबोध करवा दिया था | ज्ञानी गुरु ही शिष्य के अन्तहृदय में ज्ञान कि ज्योति को प्रज्वलित कर सकते है | " पानी पीजिए छानकर, गुरु कीजिये जानकर |" - हमे गुरु बनाना चाहिए, किन्तु गुरु आत्मज्ञानी, निष्पक्ष, विशिष्ट व श्रुतज्ञानी होना चाहियें | आज चंहुओर नामधारी और वेशधारी गुरुओं की भरमार हैं, किंतु सच्चे आत्मज्ञानी के दर्शन दुर्लभ हो गये है | सच्चा गुरु तो वही है, जिसके वचन शिष्य के भीतर की ग्रंथियों और जन्म-जन्म से पड़ी गांठों को खोल दें |

एक रोचक प्रसंग है - एक सन्यासी ने एक युवक को गुरु का महत्व समझाते हुए अपना शिष्य बना लिया और कहाँ - "अब तुझे मुक्ति मिल जायेगी" यह सुनते ही युवक उठ कर जाने को तत्पर हुआ तो सन्यासी ने कहाँ - "अरे भाई ! कहाँ चले, गुरु दक्षिणा तो देते जाओ " चतुर शिष्य बोला - " अच्छा गुरूजी ठीक है, दक्षिणा में मै आपको दिल्ली देता हूँ" सन्यासी बोला - "क्या दिल्ली तेरे बाप की है ?" युवक ने तपाक से जवाब दिया - "तो क्या मुक्ति आपके बाप की है ?" यह सुन कर सन्यासी मुहँ उतर गया !

तनिक विचार करें, जो अपने शिष्यों से मोटी दक्षिणा पाना चाहतें है क्या वें सच्चे गुरु हो सकते हैं | गुरु तो वो है जो शिष्य के सर्वस्व समर्पण करने पर भी उदासीन एवं निर्लिप्त रहें |

वैसे शिष्य भी कमतर नहीं है, वे गुरु को तो मानते है, किंतु गुरु कि नहीं मानतें | अगर धर्म-गुरुओं की आज्ञा का पालन श्रद्धा से किया जाएँ तो कहीं भी हिंसा और पाखंड का नामोनिशान ना रहें, अन्याय एवं अत्याचार प्रभावी ना हों | गुरु की खोज परमात्मा कि खोज है | गुरु कि खोज वही करता है जिसके भीतर परमात्मा प्राप्ति की प्यास हैं | गुरु से ही हम जीवन निर्माण कि कला सीख सकते है, क्योकि गुरु परमार्थ से जुड़ा रहता है | वे मोक्ष मार्ग के पथप्रदर्शक होते हैं, वे ही मोक्ष का द्वार हैं | गुरु व्यक्त और अव्यक्त रूप से समग्र विश्व में व्याप्त है, वे असहज प्राप्ति को सहज बनाते है !

जय, गुरु देव !

Friday, July 16, 2010

हमेशा दूसरे व्यक्ति को महत्वपूर्ण अनुभव कराओ !

मानव व्यवहार का एक बहुत महत्वपूर्ण नियम है। अगर हम उस नियम का पालन करेंगे तो हम कभी मुश्किल में नहीं फँसेंगे। वास्तव में अगर हम उस नियम पर चलेंगे तो हमारे पास अनगिनत दोस्त होंगे और हम हमेशा खुश रहेंगे। परंतु जिस पल हम उस नियम को तोड़ेंगे, उसी पल से हम बहुत सारी मुश्किलों में फँस जाएँगे।

यह नियम है, हमेशा दूसरे व्यक्ति को महत्वपूर्ण अनुभव कराओ ! जॉन ड्यूई ने कहा है कि "महत्वपूर्ण बनने की इच्छा मानव स्वभाव की सबसे महत्वपूर्ण इच्छा होती है।" विलियम जेम्स ने कहा है कि 'हर मनुष्य की दिल की गहराई में यह लालसा छुपी होती है कि उसे सराहा जाए।' यही लालसा मानव सभ्यता के विकास का कारण है।

आप चाहते हैं कि आपसे मिलने-जुलने वाले लोग आपकी तारीफ करें...... आप चाहते हैं कि आपकी प्रतिभा को पहचाना जाए....... आप चाहते हैं कि आप अपनी छोटी-सी दुनिया में महत्वपूर्ण बनें...... आप सस्ती
चापलूसी या झूठी तारीफ नहीं सुनना चाहते, परंतु आप सच्ची प्रशंसा अवश्य सुनना चाहते हैं। आप चाहते हैं कि आपके मित्र और सहयोगी आपकी दिल खोलकर तारीफ करें और मुक्तकंठ से सराहना करें! हम सभी यह चाहते हैं। इसलिए हमें इस स्वर्णिम नियम का पालन करना चाहिए और दूसरों को वही देना चाहिए, जो हम उनसे अपने लिए चाहते हैं।

दिल जीतने का अचूक तरीका किसी कुशल तरीके उन्हें यह जतला देना है कि आपको उनके महत्व का एहसास है और आप इसे सचमुच स्वीकार करते हैं। कई लोगों की जिंदगी शायद बदल जाए अगर कोई उन्हें यह अनुभव करा दे कि वे महत्वपूर्ण हैं।