क्यों ना, ज़िंदगी से हाथ मिलाकर हम भी कुछ देर मुस्कुरा ले …….
Saturday, October 4, 2008
Anadi Lekhak
गीत, कविता, लेख, व्यंग्य, मै कुछ लिखता नही, वे तो, ख़ुद-ब-ख़ुद, चुपके से, मेरे मस्तिष्क मै आती है, और, न जाने कब, हाथ से होती हुई, लेखनी से कागज़ पर उतर जाती है।
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