from the desk of PRAMOD JAIN
दुनियां भर के तनाव जब जिंदगी को थका रहे हैं,
तो आओ
…….
क्यों ना, ज़िंदगी से हाथ मिलाकर हम भी कुछ देर मुस्कुरा ले
…….
Saturday, October 4, 2008
Anadi Lekhak
गीत, कविता, लेख, व्यंग्य,
मै कुछ लिखता नही,
वे तो,
ख़ुद-ब-ख़ुद,
चुपके से,
मेरे मस्तिष्क मै आती है,
और,
न जाने कब,
हाथ से होती हुई,
लेखनी से कागज़ पर उतर जाती है।
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